लेखनी कहानी -12-Apr-2022 शोर्ट स्टोरी लेखन # तबादला
तनु की शादी की बात चल रही थी । बड़ा ही अच्छा घराना था लड़का भी बहुत सुंदर और अच्छे पद पर आसीन था पर तनु को वो रिश्ता मंजूर नही था। मां ने सोचा शायद कोई ओर है इसके मन मे जो इतना अच्छा रिश्ता ठुकरा रही है ।वह तनु के कमरे मे गयी और पूछा"बिटिया । क्यों मना कर रही है तू इस रिश्ते को क्या खराबी लगी तुझे इस रिश्ते मे ?" तनु अनमने मन से बोली ,"मम्मी खराबी कोई नही है पर मैं एकल परिवार मे पली बड़ी हूं नौकरी करती हूं क्या मै संयुक्त परिवार मे एडजेस्ट हो पाऊं गी ।" मां हंसते हुए बोली ,"बेटा ये मेरा दुर्भाग्य था जो मैं एकल परिवार मे आयी। संयुक्त परिवार की कोई रीस नही है । वहां सब काम चुटकियों मे बातों ही बातों मे हो जाते है तू चिंता मत कर तू सुखी रहेगी।" मां के आगे तनु कुछ बोल ना सकी पर मन ही मन ठान लिया था कि अगर नही बनी तो वह ओर उसका पति अलग हो जाएंगे। सगाई हो गयी शादी के दिन लड़के वालों की तरफ से सजी दुल्हन को देखने पूरे परिवार की औरते आई ।तनु पांव छूते छूते थक गयी। शादी हो गयी तनु का पहला दिन था ससुराल मे ।पति की चाची ,ताई ,मामी,बुआ सब इकठ्ठी हो कर हंसी ठिठोली करने लगी। तनु को घबराहट हो रही थी ।ये सब सुनील की आंखों से छिपा नही था ।उसने अपनी बहन के कान मे कहा कि तू अपनी भाभी को उपर वाले कमरे मे ले जा । तनु की ननद सभी से ये कह कर की भाभी वाशरूम जाना चाहती है ।उसे उपर के कमरे मे ले गयी ।उसे कमरे मे बैठा कर वह बाहर निकल गई।तभी सुनील कमरे मे आ गये ।तनु सुनील को देख कर थोड़ा सुकचाने लगी ।तनु को सहज महसूस करवाने के लिए सुनील बोले,"अरे आप सुकचाईए मत ।ये घर ,ये कमरा आप ही का है । मैंने नीचे देखा था आप घरवालों की भीड़ मे असहजता महसूस कर रही थी।इसी लिए सिम्मी से कहा कि आप को उपर ले जाएं। अरे बहुत भीड़ रहती है हमारे घर मे ।मै स्वयं तंग आ गया हूं इस भीड़ से ।ऐसा करेंगे कुछ दिन यहां रहेंगे फिर मै अपना तबादला कही दूर करवा लूंगा पीछा छुटेगा इस भीड़ भाड़ से।"
तनु आश्चर्य से सुनील की ओर देख रही थी कि इन्होने तो मेरे बिना कहे ही मेरे मन की बात कह दी।
शादी के दो चार दिन मे ही तनु को मां की बात याद आने लगी ।मां ने कहा था कि संयुक्त परिवार की कोई रीस नही कर सकता।सुनील के ताऊजी और चाचाजी सब साज ही एक बडी सी हवेली मे रहते थे।तनु ने देखा बातों ही बातों मे पता ही नही चलता था कब दिन बीत गया ।उसे शादी के कितने दिन बाद पता चला कि सिम्मी सुनील के ताऊजी की लड़की है । ताऊजी के बच्चे और चाचा जी के बच्चे सब मिल कर खूब धमाल करते और सुनील उन सब का हेड होता था।एक के यहां मेहमान आता तो सब के घरों से पकवान बनकर आ जाते और मेहमान की थाली भर जाती।एक दिन सुनील की मोटरसाइकिल किसी से टकरा गयी थोडी बहुत खरोंच आयी ।ताऊजी ने उस बन्दे को जेल की हवा खिला दी।तनु संयुक्त परिवार से जितनी घृणा करती थी अब उसे प्यार होने लगा था संयुक्त परिवार से ।सुनील ये नोट कर रहा था।
एक दिन सुनील ने तनु को अपने कमरे मे बुलाया और बोला,"अब सामान पैक करना शुरू कर दो हमे अगले हफ्ते निकलना है ।ये देखो मैने बैंगलोर तबादला करा लिया है । तुम्हें भी ये भीड़ भाड़ अच्छी नही लगती और मुझे भी।"
तनु ने तबादले के कागज देखे तो उसके आंखों मे आंसू आ गये ।उसने सुनील से छुपा लिए अपने आंसू और बोली ,"कहां मथूरा और कहां बैंगलोर ।तुम ऐसा करो अपना तबादला कैंसिल नही करा सकते ।इतनी दूर जाएंगे।तो मां जी को कौन देखेगा ,ताई जी के घुटनों की मालिश कौन करेगा ।मै ही तो अकेली बहू हूं इस घर मे । बेटियों से ताईजी हाथ नही लगवाती पैरों को।"
सुनील ने देखा तनु का बोलते बोलते गला भर आया था ।उसने तनु को जोर से सीने से लगाया और बोला,"प्रिय ये तो मेरा नाटक था तुम्हें हमारे संयुक्त परिवार की खासियत बताने का ।मुझे पता था कि तुम शादी के लिए इंकार कर रही थी क्योंकि कि हमारा संयुक्त परिवार था ।पर मुझे ये भी पता था कि मेरे परिवार का लाड प्यार तुम्हारी सोच को बदल देगा।" ये कहकर उसने तबादलें वाले कागज फाड़ दिये ।तनु अश्रुपूरित नेत्रों से ओर होंठों पर हंसी लिए सुनील के सीने मे समा गयी।
जोनर # प्रेरक
Abhinav ji
28-Apr-2022 09:44 PM
Very nice👍
Reply
Reyaan
26-Apr-2022 04:05 PM
Very nice
Reply
Shnaya
25-Apr-2022 04:52 PM
Very nice 👍🏼
Reply